ऐ मेरे वतन के लोगों
जरा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
जरा याद करो कुरबानी
मौत के साए में हर घर है,
कब क्या होगा किसे खबर है
बंद है खिड़की, बंद है द्वारे,
बैठे हैं सब डर के मारे
~
चुपके चुपके रोनेवाले
रखना छुपा के दिल के छाले रे
ये पत्थर का देश है पगले
यहां कोई न तेरा होय
तेरा दर्द न जाने कोय
पिंजरे के पंछी रे….
~
‘आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है,
दूर हटो, दूर हटो ऐ दुनियावालों हिंदोस्तान हमारा है..
~
चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला
तेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला
हज़ारो मील लंबे रास्ते तुझको बुलाते
यहाँ दुखड़े सहने के वास्ते तुझको बुलाते
है कौन सा वो इंसान यहाँ पर जिसने दुःख ना झेला
चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला
–
अगर आप भी लिखते है तो हमें ज़रूर भेजे, हमारा पता है:
साहित्य: editor_team@literatureinindia.com
समाचार: news@literatureinindia.com
जानकारी/सुझाव: adteam@literatureinindia.com
हमारे प्रयास में अपना सहयोग अवश्य दें, फेसबुक पर अथवा ट्विटर पर हमसे जुड़ें